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4,60 złKatha-Lucknow-4 (कथा-लखनऊ-4)
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कहते हैं जादू सरसो पे पढ़े जाते हैं, तरबूज पर नहीं। तो लखनऊ वही सरसो है, जहां कहानियों का जादू सिर चढ़ कर बोलता है। कहानी मन में भी लिखी जाती है। सिर्फ कागज पर कलम से ही नहीं। उंगलियों से कंप्यूटर, लैपटॉप या मोबाइल पर ही नहीं। कहानी दुनिया भर में दुनिया की सभी भाषाओं में लिखी गई है। पर लखनऊ में जैसी और जिस तरह की कहानियां लिखी गई हैं और निरंतर लिखी जा रही हैं, कहीं और नहीं। हर शहर की अपनी तासीर होती है पर लखनऊ की तासीर और तेवर के क्या कहने।
| Autor | |
|---|---|
| Wydawca | |
| Język | |
| Rok | 2024 |
| Stron | 194 |
| Oprawa | Miękka |
| ISBN | 9789355991683 |
| Typ publikacji | Druk na żądanie |
| Infromacja GPSR | PROGMAR 40-748 Katowice ul.Strzelnica 60 |



