Mitti Ki Gullak (मिट्टी की गुल्लक)

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मिट्टी की गुल्लक में समायी इक्कीस कहानियाँ इर्द-गिर्द घूमती हैं, एक बच्ची के, जिसका नाम मुन्नी है। ये कहानियाँ आरंभ होती हैं घर में एक लड़की के जन्म से उपजी निराशा से और फिर उसी मुन्नी का गाँव से शहर आ अपनी पढ़ाई से खुद को शशक्त बनाना। इन कहानियों की नायिका मुन्नी में छटपटाहट है, अपने आप को सबसे आगे रखने की चाहे इसके लिए कितना बड़ा भी झूठ बोलना पड़े। एक कहानी सायरा दीदी में तो अपने मित्रें के बीच अपना सिक्का जमाने के लिए वो ये तक कहती है कि सायरा बानो उसके बुआ की बेटी है जो एक बाल मन की सरलता को भी प्रदर्शित करता है। इस मुन्नी के जो हीरो हैं वो हैं उसके बाबूजी, जिनकी छत्रछाया में वो कुछ भी कर सकती है। कई बाल-सुलभ शैतानियां और कई छोटे-छोटे सपने हैं जो उस दशक की हर महिला ने जिए हैं। खास सादे अंदाज में कहे गए इन किस्सों में कहीं कड़वाहट या विद्वेष नहीं है। बेवजह की चाशनी और वर्क भी नहीं चढ़ाये गए हैं। चीजें जैसी हैं, वैसी ही हाजिर हैं। बच्चों की दुनिया में उन दिनों जैसा होता था, उसी का चित्रण इस पुस्तक में है।

SKU: 9789389807165
Category:
Autor

Wydawca

Język

Rok

2020

Stron

138

Oprawa

Miękka

ISBN

9789389807165

Typ publikacji

Druk na żądanie

Infromacja GPSR

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